स्वतंत्रता सेनानियों के प्रेरणास्रोत ताना जी मालसुरे
                   #ताना जी मालसरे

काँग्रेस शासित राज्यों में फ़िल्म तानाजी को टैक्स फ्री करने की मांग हो रही है | काँग्रेस शासित ही क्यों सभी राज्यों में एसी फिल्मों को प्रोत्साहन मिलना चाहिए | स्कूल कॉलेज के विद्यार्थियों को तो संस्था या शासन की ओर से  इसे निशुल्क दिखाने का भी प्रवंध किया जाना चाहिए | एसी फ़िल्में मानसिक गुलामी से आजादी देती हैं | एसा कहा जाता है कि 1918 में जब पोलैंड स्वतंत्र हुआ तो पोलैंडवासियों राजधानी के मुख्य चौराहे पर रूसी शासकों द्वारं निर्मित चर्च को ढहा दिया | और वहां एक नवीन चर्च का निर्माण किया | जब उनसे पूछा गया कि चर्च ही बनाना था तो पुराने को क्यों तोड़ा | उत्तर मिला पुराना चर्च रूस की गुलामी का प्रतीक था नया चर्च हमारे स्वाभिमान व स्वतंत्रता का द्योतक है | संसार में संभवतः सभी देशों ने अपनी अपनी संकृति,सभ्यता व महापुरुषों को आने वाली पीढी के सामने ससम्मान प्रस्तुत किया | किन्तु हम एक मात्र एसे देश हैं जहाँ राष्ट्र नायक कौन हैं और खलनायक कौन अभी भी तय नहीं हो पाया है | कुछ लोग ओक्सफोर्ड जाकर कह आए कि अँगरेजो आपकी असीम कृपा थी जो आप ने भारत पर शासन किया आप न आते तो हमें रेल,सड़क,शिक्षा,डाक कुछ भी नहीं मिलता  | कुछ फ़िल्मी संवाद और गीत लिखने वाले तो आज भी यही प्रचारित करते हैं कि बाबर विदेशी आक्रान्ता नहीं था | इस देश मे कला, सहित्य, स्थापत्य, संस्कृति, व सभ्यता का विकास किया मुगलों ने ही किया | कुल मिलाकर पराधीनता काल को विकास युग कहने का चलन भी केवल हमारे ही देश में है |  
    स्वतंत्रता पश्चात इतिहास लेखन का कार्य उन लोगों ने किया जो नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को तोजो का कुत्ता,भगत सिंह को आतंकवादी,गुरु गोविन्द सिंह जी को लूट पाट करने वाला कहते थे | इसी का  दुष्परिणाम है कि अनेक विदेशी आक्रान्ता,लुटेरे,व भारतीय संस्क्रति,सभ्यता को छिन्न भिन्न करने वाले, हजारों स्त्रियों का शील भंग करने वाले,मंदिरों को तोड़ने वाले इतिहास में आदर व स्थान पा गए | उनसे लड़ने वाले, उन्हें खदेड़ने वाले,उनका विरोध करने वाले,उनके अत्याचार से भारतीय समाज को बचाने वाले अधिकांश योद्धा या तो विलोपित कर दिए गए या फिर विवादित | जिन थोड़े बहुत महापुरुषों को इतिहास में न्यूनतम स्थान दिया भी गया तो उन्हें जाति,क्षेत्र या स्थान विशेष से जोड़कर वहीं सीमित और अपने हितों के लिए लड़ते हुए दिखाया गया | तानाजी मालुसरे भी उन्हीं विलोपित या विस्मृत योद्धाओं में से एक हैं जिनसे प्रेरणा लेकर भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के अनेक क्रांतिकारी अंगरेजों के विरुद्ध उठ खड़े हुए थे | लोकमान्य तिलक भी ताना जी के पराक्रम से प्रेरणा लेने सिंहगढ़ जाते थे | सावरकर जी तो  ताना जी के इतने दीवाने थे कि उन्होंने “वाजी प्रभु” नाम से गीत ही रच दिया | तन्याजीच्या पराक्रमासह सिंह गडा येई | जरिपटका तोलीत धना जी संताजी या या | दिल्लीच्या तक्ताचीं छ्कलें उधलित भाऊ या || स्वतंत्रतेच्या रणांत मरुनी चिरंजीव झाले | इसका हिन्दी अनुवाद कुछ यूँ होगा, तान्हाजी के पराक्रम के साथ सिंहगढ़ आये ।भगवा ध्वज का मान रखते हुए संताजी और धनाजी आओ आओ।दिल्ली तख्त की धज्जियां उड़ाते हुए सारे बंधु आओ। स्वतंत्रता के रण में मरकर भी अमर हुए तान्हाजी | इस गीत से अंगरेजों को इतना भय हुआ कि उन्होंने इस गीत को ही प्रतिबंधित कर दिया | अंगरेज जानते थे यदि  ताना जी की वीरगाथा जन जन तक पहुँची तो हर भारतीय के रक्त में उबाल आजाएगा |
       यद्यपि ब्रिटिश अम्पायर के यूनियन जैक को उतरना उसी तरह असंभव था जिस प्रकार कोंढाणा किले पर लहराते हुए मुग़ल साम्राज्य के ध्वज को उतारना | कितु वह ध्वज उतारा गया | वहां हिन्दवी स्वराज का भगवा ध्वज लहराया गया | असंभव से दिखने वाले लक्ष्य को भेदने वाले अप्रतिम योद्धा के गीत  ब्रिटिश सरकार कैसे सुन सकती थी | युद्ध कौशल व प्रवंधन पर शोध करने वालों को इस बात पर भी शोध करना चाहिए कि विश्व इतिहास में अन्यत्र भी एसा कोई युद्ध हुआ है जिसमे एक योद्धा ने एसे दुर्गम किले पर इतने सीमित संसाधनों में रात्रि के अँधेरे में विजय प्राप्त कर ली हो | कोंढाणा किले पर चढ़ने के दो ही मार्ग थे ,कल्याण द्वार और पुणे दरवाजा | यहाँ हमेशा कड़ा पहरा रहता था अन्य कोई रास्ता था ही नहीं  | तीसरे असंभव रास्ते द्रोण गिरि चट्टान का चयन, जिस पर चढ़ते समय ही जीवन समाप्त हो जाए और कुछ साथियों का हुआ भी हो चुन लेना एक नायक के चुनौती स्वीकारने के गुण को प्रकट करता है | चढ़ने के लिए घोरपड़ सैनिकों का दल तैयार करना, महाराष्ट्र में घोरपड़ दीवार पर चढ़ने वाले जंतु को कहते हैं इसे उत्तर भारत में गोह भी कहा जाता है | इस अभियान में जिस घोरपड की सेवाएँ ली गईं उसका नाम यशवंती बताया जाता है | यशवंती की पीठ पर रस्सी बाँध कर तान्हाजी स्वयं उस खड़ी  चट्टान पर चढ़े फिर अन्य  सैनिकों को रस्सी द्वारा ऊपर चढ़ाया गया | तान्हा जी पर चन्द्रावली हाथी छोड़ा गया किन्तु तलवार के एक ही प्रहार से हाथी की सूंड को काटते हुए ताना जी बढ़ गए सिद्धी हिलाल की ओर,तदोपरान्त उदय सिंह व  उसके पुत्रों से भीषण युद्ध किया | उन्हें पराजित किया,वध किया | इस युद्ध में जिन सैनिकों को को कल्याण द्वार खोलने का उत्तरदायित्व मिला उन्होंने पूरी वीरता के साथ लड़ते हुए उस कार्य को फलीभूत किया | समुद्र तल से लगभग साढ़े चार हजार फुट की ऊँचाई पर दुर्गम चढ़ाई चढ़कर मात्र तीन सौ योद्धाओं द्वारा पांच हजार प्रशिक्षित मुग़ल सैनिको को मारकर उनसे किला छीन लेना | क्या इतनी छोटी घटना थी कि भारत के इतिहास में उसकी ठीक से चर्चा भी न की जाए या उसे स्थानीय लोक कथाओं तक ही सीमित रहने दिया जाए | ताना जी जिन शिवाजी महाराज के सरदार थे उन्हें हमने अपने इतिहास में कितना सम्मान व स्थान दिया यह भी विचारणीय है | स्वराज के लिए शिवाजी आदिल शाही और मुगलों से लड़े | स्वराज के लिए ही  लोकमान्य तिलक व गांधी जी अंगरेजों से लड़े | युद्ध का समय,शस्त्र व शत्रु भले ही प्रथक रहे हों किन्तु लक्ष्य सब का एक ही था |
डॉ. रामकिशोर उपाध्याय
(स्वतंत्र टिप्पणीकार) 

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